धर्म और धार्मिक में क्या अंतर है?

धर्म:
धर्म, संस्कृत भाषा का शब्द हैं, जिसका अर्थ होता हैं - धारण करना। अर्थात जो धारण करने योग्य हो, जिसका अनुसरण करने से सत्य की हानि ना हो जो समय और समाज के अनुरूप हो वही धर्म हैं और उसी को धारण करना चाहिए।
धारयेत इति धर्म्
अर्थ: " जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है "
धारण करने योग्य क्या हैं?
जो धारण करने योग्य हैं, वही धर्म हैं किन्तु धारण करने योग्य क्या हैं जिसे धारण करने से धर्म का अनुसरण हो सके। तो जो वेदो में कहा गया हैं वही मैं यहाँ आपसे कहता हूँ, जिसे धारण करने से धर्म का अनुसरण हो सके।
तो सुनिए:
- सत्य
- अहिंसा
- दया
- ईमानदारी
- संयम
- नैतकता
- कर्तव्यपरायणता
धार्मिक:
कोई व्यक्ति, परिवार या समाज जो भी धर्म का सही अनुसरण करता हैं वही धार्मिक कहलाता हैं। सत्य बोलना, हिंसा न करना, दया का भाव रखने वाला, ईमानदार रहने वाला, आपने कर्तव्यों का सही से निर्वाह करने वाला व्यक्ति, समाज या परिवार धार्मिक कहलाता है।